योगी सरकार में यूपी में आधुनिक खेती के तरीके अपना कर किसान दोगुनी आमदनी कर रहे हैं। वहीं किसान कल्याण योजनाओं की वजह से यूपी में कृषि विकास रफ्तार पकड़ रहा है। शायद इसी वजह से पिछले सात वर्षों में उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार बढ़ोतरी हुई है। परिणामस्वरूप प्रदेश में फसलों की सरकारी खरीद के नए-नए कीर्तमान बन रहे हैं।
किसानों को बदलहाली के दौर से निकालने के लिए मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने यूपी में किसान कल्याण की तमाम योजनाएं लागू की। जिसकी वजह से यूपी में कृषि विकास के साथ किसानों की आर्थिक हालात में सुधार हुआ। अपनी पहली कैबिनेट बैठक में वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफी का फैसला लिया था। प्रदेश सरकार के इस फैसले से 86 लाख लघु-सीमांत किसानों को कर्ज माफी का लाभ मिला। वहीं, किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पाने के लिए प्रयासों का असर भी अब दिखने लगा है। योगी सरकार के इन फैसलों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होने के साथ ही किसानों ने आत्मनिर्भरता की ओर भी कदम बढ़ाए। इसके पीछे यूपी में किसान कल्याण योजनाएं ज्यादा असरदार साबित हुई।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार वृद्धि की वजह से गेहूं व धान के अलावा मक्का, दलहन व तिलहन की सरकारी खरीद बढ़ी और बाजार में किसानों को बेहतर दाम मिले। सरकारी क्रय केंद्रों पर रजिस्ट्रेशन कराने जैसी औपचारिकताएं तो बढ़ी है, लेकिन इससे किसानों के खातों में विभिन्न योजनाओं के तहत करीब 1803 करोड़ रुपये का अनुदान के रूप में पहुंचा ।कृषि उपज की बिक्री के लिए मंडियों की उपयोगिता और अधिक बढ़ी है।
योगी सरकार ने यूपी में आधुनिक खेती के तरीके के प्रमोशन के लिए तकनीक से कृषि विकास को रफ्तार देने का अभियान चलाया। प्रदेश के किसानों को खेती -किसानी संबंधी नवीनतम जानकारियां व तकनीकी लाभ उनके करीब में उपलब्ध कराने के लिए किसान पाठशालाओं का आयोजन किया गया। किसान पाठशालाओं के माध्यम से प्रदेश के 55 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया गया। इसी प्रकार प्रदेश में 20 नए कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना की गई। कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 50 हजार से अधिक सोलर पंप लगाने का काम किया।
कुसुम योजना के माध्यम से किसानों को नलकूप के कनेक्शन प्रदान किए गए। जिससे प्रदेश में सिंचित खेती का रकबा बढ़ा। सरकार किसानों को गेहूं और धान की परंपरागत खेती के स्थान पर बहुफसली खेती की पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे भी किसानों की आमदनी सुधारने में अहम भूमिका निभाई। मृदा स्वास्थ्य कार्ड , प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई, किसान सम्मान निधि जैसी यूपी में किसान कल्याण योजनाएं भी इसमें बहुत सहायक हुईं। जिसके परिणामस्वरूप कुछ वर्षों में ही किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना प्रारंभ हुआ।
बुंदेलखंड के किसानों के लिए जलवायु की अनुकूलता के मुताबिक औषधीय खेती और बागवानी से भी जोड़ा गया। सीमैप के माध्यम से संगीधय और औषधीय पौधों की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया गया और उनको प्रशिक्षित भी किया। इसके अलावा उनके हर्बल उत्पादों की मार्केटिंग भी की गई। किसानों को कारोबारी एवं उद्यमशील बनाकर प्रशिक्षित किया गया। इससे उन्हें कृषि उत्पाद का कई गुना दाम मिल रहा है।
बीते वर्ष अगस्त 2023 में पूर्वांचल के वाराणसी एयरपोर्ट से खाड़ी देशों के लिए 91 मीट्रिक टन फल और सब्जियों का निर्यात किया गया। पहली बार पूर्वांचल के गाजीपुर के केले के फल, फूल और पत्ते निर्यात हो रहे हैं जबकि पहले ये दक्षिण भारत से ही निर्यात होता था. इसके अलावाअब पहली बार अमड़ा और करौंदा खाड़ी देशों के लिए निर्यात किया गया ।
सरकार की किसान कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन का परिणाम है कि उत्तरप्रदेश कुल कृषि योग्य भूमि में 24% शेयर अकेले इन औद्यानिक कृषि फसलों के माध्यम से किसानों और प्रदेश को प्राप्त होता है। खाद्यान्न उत्पादन में 20 प्रतिशत का योगदान उत्तर प्रदेश करता है। ऑर्गेनिक खेती में भी उत्तर प्रदेश के किसानों की भागीदारी 24 प्रतिशत हैं।
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